Suzlon Energy का नाम सुनते ही भारत में पवन ऊर्जा का विचार सबसे पहले आता है। यह कंपनी लंबे समय से इस सेक्टर में अग्रणी रही है। हाल के दिनों में Suzlon के शेयरों में जो उतार-चढ़ाव देखा गया है, उसने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। आइए जानते हैं, इस गिरावट के पीछे के कारण और बाजार विशेषज्ञों का इस पर क्या कहना है।
Suzlon Energy share में गिरावट: क्या है असली वजह?
Suzlon के शेयरों ने अगस्त 2024 में ₹80 का स्तर पार कर लिया था और जल्द ही ₹84.29 तक पहुंच गए थे, जो पिछले 14 सालों का उच्चतम स्तर था। इसके पीछे कंपनी के मजबूत तिमाही वित्तीय प्रदर्शन, रणनीतिक कर्ज में कमी, और महत्वपूर्ण ऑर्डर जीतने की खबरें थीं। Suzlon का Q1 FY25 के अंत तक 3.8 GW का ऑर्डर बुक था, जो कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ा है।
हालांकि, पिछले कुछ ट्रेडिंग सत्रों में शेयरों में लगातार गिरावट देखी गई है। सोमवार को तीसरे लगातार सत्र में Suzlon के शेयर 4.33% की गिरावट के साथ ₹72.56 प्रति शेयर तक आ गए, जो पिछले तीन हफ्तों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट कुछ निवेशकों के लिए चौंकाने वाली रही है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने हाल ही में इसमें निवेश किया था।
Expert की राय: Suzlon Energy Target Price
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि Suzlon के शेयरों में यह गिरावट बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और निवेशकों के मुनाफा बुकिंग के कारण हो सकती है। लेकिन, इसके बावजूद भी, कई विदेशी और घरेलू ब्रोकरेज फर्म्स ने Suzlon के लिए अपने टारगेट प्राइस में संशोधन किए हैं और इसे अभी भी एक लंबी अवधि के लिए अच्छा निवेश माना जा रहा है।
Suzlon के शेयरों में हाल के उतार-चढ़ाव के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने जून तिमाही के अंत तक अपनी हिस्सेदारी 6.3% से बढ़ाकर 9.2% तक कर ली है। यह इस बात का संकेत है कि बड़े निवेशक अभी भी Suzlon के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। वहीं, रिटेल निवेशकों के पास भी अब तक बहुमत की हिस्सेदारी है, जो 56% शेयर होल्ड कर रहे हैं।
Suzlon की नई रणनीति: Renom Energy Services में हिस्सेदारी
Suzlon ने हाल ही में एक और बड़ा कदम उठाते हुए Renom Energy Services में 76% हिस्सेदारी हासिल करने की घोषणा की है। यह सौदा ₹660 करोड़ में Sanjay Ghodawat Group से दो चरणों में होगा। इस रणनीतिक अधिग्रहण से Suzlon को पवन ऊर्जा O&M सेवा व्यवसाय में एक प्रमुख स्थान हासिल करने में मदद मिलेगी।
भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं, और उम्मीद है कि 2030 तक यह क्षेत्र 100 GW से अधिक हो जाएगा। Suzlon का यह अधिग्रहण उन्हें इस क्षेत्र में और भी मजबूत बनाएगा और बाजार में उनकी स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।
Advice for investors: क्या करना चाहिए?
हालांकि Suzlon के शेयरों में गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है, लेकिन लंबे समय में यह शेयर अभी भी संभावनाओं से भरा हुआ है। कंपनी का मजबूत ऑर्डर बुक, वित्तीय स्थिति में सुधार, और भविष्य के लिए नई योजनाएं इस बात का संकेत हैं कि कंपनी आने वाले वर्षों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
short term investors को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। वहीं, लंबे समय के investors के लिए यह एक अच्छा अवसर हो सकता है, बशर्ते वे धैर्य बनाए रखें और अपने निवेश को लेकर सतर्क रहें।
अंत में, किसी भी निवेशक को निर्णय लेने से पहले बाजार की स्थिति, कंपनी की रणनीति और अपने निवेश उद्देश्यों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए। Suzlon के शेयरों में निवेश करना एक long term दृष्टिकोण के साथ समझदारी भरा कदम हो सकता है, बशर्ते निवेशक बाजार की अस्थिरता का सामना करने के लिए तैयार हों।